प्रेरणादायक कहानियां
हिरणी अपने बच्चों के पास गई | उसने बच्चों को दूध पिलाया, प्यार किया | फिर अपनी सहेली हिरनी को सब बातें बता कर उसने अपने बच्चे को सोपने चाहे | इतने में वहां वह हिरण भी आ गया | उसने भी बच्चों को प्यार किया | बच्चे अपने माता-पिता से अलग होने को तैयार नहीं होते थे | अंत में उनका हट मानकर हिरण और हिरणी ने उन्हें भी साथ ले लिया |
तालाब के पास आकर हिरण ने शिकारी से कहा -” भाई शिकारी! अब हम लोग आ गए हैं | तुम अब हमें अपने बानों से मारो और हमारे मांस से अपनी भूख मिटाओ |”
हिरण और हिरणी की सच्चाई देखकर शिकारी को बड़ा आश्चर्य हुआ | वह पेड़ से नीचे उतरा और बोला – ” देखो ! यह हिरण पशु होकर भी अपनी बात के कितने सच्चे हैं | यह प्राण का मोह छोड़कर सत्य की रक्षा के लिए मेरे पास आए हैं | मनुष्य होकर भी मैं कितना नीच और पापी हूं, कि अपना पेट भरने और चार पैसे कमाने के लिए निरपराध पशुओं की हत्या करता हूं |अब से मैं किसी पशु को नहीं मारूंगा |”
शिकारी ने अपना धनुष तोड़कर फेंक दिया | उसी समय वहां स्वर्ग से एक विमान उतरा उस विमान को लाने वाले देवदूत ने कहा – ” शिकारी ! यह हिरण सत्य की रक्षा करने के कारण निष्पाप हो गए हैं | ये अब स्वर्ग को जाएंगे | तुमने भी आज इन जीवो पर दया की है | इसलिए तुम भी इनके साथ स्वर्ग चलो |
हिरण हिरणी और उनके दोनों बच्चों का रूप देवताओं के समान हो गया | वह शिकारी भी देवता बन गया | सत्य और दया के प्रभाव से विमान में बैठ कर वे सब स्वर्ग चले गए |